51000 खर्च के मुकाबले 42000 की राशि की स्वीकृति सभी कार्यक्रमों में होता है ऐसा, खर्च से कम ही मिलता है भुगतान
राम जन्मभूमि पर विराजमान रामलला भले ही करोड़ो रामभक्तों की आस्था के केंद्र हों पर मुफलिसी उनका पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही है। गत 26 वर्षों से मेंक शिफ्ट स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला को कभी परिधानों लाले पड़ते हैं तो कभी छत जर्जर होने से बरसात का पानी टपकने की खबर सुर्खिया बटोरती है। ताजा मामला रामजन्मोत्सव का है।
रामजन्मोत्सव काम चलाऊ बंदोबस्त करते हुए मुख्य अचर्क आचार्य सत्येंद्रदास ने रामलीला की सात सेट पोशाक बनवाई। नया बिछावन, पर्दा, ध्वज आदि का प्रबंध किया। इत्र, धूप अगर आदि विशिष्ट सामग्री का प्रयोग करते हुए रामलीला का पूजन अभिषेक किया। सवा क्विण्टल पंजीरी और समुचित मात्रा में पंचामृत का भोग अर्पित कर प्रसाद वितरित किया। यह व्यवस्था करने में मुख्य अचर्क की 50 हजार से अधिक की राशि व्यय हुई। उन्होंने रामलला के पदेन रिसीवर मंडलायुक्त के सम्मुख मय कैश मेमो कुल 51 हजार 46 रुपये का बिल प्रस्तुत किया पर स्वीकृति 42 हजार की राशि हुई।
मुख्य अचर्क मायूसी जताते हुए कहते हैं कि यह पहला मौका नहीं है, रामलला से जुड़े उत्सव के प्रति लगातार कंजूसी सामने आई है। मिसाल के तौर पर गत वर्षों के ही श्रीराम जन्मोत्सव का लें, तब 46 हजार व्यय के मुकाबले 38 हजार की राशि ही स्वीकृति हुई।
वैसे तो विजयदशमी एवं दीपावली की भगवान राम से जुड़ा प्रमुख पर्व है पर राम जन्मभूमि प्रशासन की ओर से इस उत्सव को मनाने की कोई व्यवस्था ही नहीं की गई है। सावन में झूलनोत्सव के अवसर पर अवश्य रामलला के दरबार में उत्सव के लिए प्रतीकात्मक बजट स्वीकृत किया जाता है पर वह भी व्यय के मुकाबले कम ही रहता है। राम जन्मभूमि परिसर के पदेन रिसीवर मंडलायुक्त मनोज कुमार मिश्र ने इस संबंध में कहा अभी कुछ भी नहीं बता पाऊंगा। कहने को करोड़पति है रामलला : राम लला को भले ही मुफलिसी का सामना करना पड़ रहा हो पर उनके नाम पर चढ़ावा प्रति पखवारे औसतन 3 लाख रुपये तक होता है। जनवरी 93 में शासकीय अधिग्रहण के बाद से राम लला की खाते में करोड़ो रुपये जमा हो चुके है।
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