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Wednesday 1 August 2018

11 किमी लम्बा तिरंगा, वजन आठ क्विंटल
लम्बाई लगभग 11 किलोमीटर और वजन आठ क्विंटल। इस आकार के तिरंगे के बारे में शायद ही आपने कभी सुना नहीं होगा। गोरखपुर में मौजूद इस विशेष तिरंगे की खास बात यह है कि देश की रक्षा करते समय जब कोई जवान शहीद होता है तो उसके सम्मान में झंडे की लंबाई 1 मीटर बढ़ा दी जाती है। गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के डीहघाट निवासी रघुवंश हिंदू ने इस तिरंगे की परिकल्पना की थी। 

हिंदू चेतना मंच के बैनर तले अब वह रथयात्रा के जरिए इस तिरंगे को लोगों के बीच ले जा रहे हैं। लोग रथ पर विराजमान इस तिरंगे की आरती करते हैं और पूजा भी। जन-जन को इस मुहिम में जोड़कर देशभक्ति का संदेश दिया जा रहा है। 

पेशे से इंजीनियर रघुवंश के दिल में इस मुहिम को लेकर चलने की पृष्ठभूमि कुछ दिनों या वर्षों में नहीं बल्कि बचपन से ही तैयार हो रही थी। बकौल रघुवंश बचपन में बुजुर्गों और शिक्षकों से जब वह आजादी के लिए शहीद हो जाने वाले देशभक्तों का किस्सा सुनते थे तो दिल में राष्ट्र के प्रति अगाध श्रद्धा उमड़ती थी। जैसे जैसे उम्र बढ़ी शहीदों के प्रति श्रद्धा और सम्मान भी बढ़ता गया। 

देश भक्ति से प्रेरित हो कुछ कर गुजरने की इच्छा जगी तभी सुनने में आया कि बिहार के पूर्णिया जिले में साढ़े छह  किलोमीटर लम्बा तिरंगा तैयार किया गया है। अपने साथियों के साथ चर्चा की और हिंदू मान्यता में शुभ संख्या 11 को केंद्र में रखकर राष्ट्र के सम्मान के प्रतीक 11 किलोमीटर लंबी तिरंगे को तैयार करने का बीड़ा उठा लिया। 

पहले 121 फ़ीट के तिरंगे के साथ शहर में पैदल मार्च कर इसकी अलख जगाई, और फिर 11 किलोमीटर की तिरंगे को तैयार कराने की तैयारी में जुट गए। प्रयास रंग लाया और लोगों के सहयोग से तैयार हो गया यह विशेष तिरंगा। 

तिरंगे की लंबाई बढ़ने का सिलसिला अभी थमा नहीं है सीमा पर शहीद होने वाले हर एक नौजवान की शहादत को सलाम करने के लिए झंडे की लंबाई 1 मीटर बढ़ा दिया जाता है। 11 किलोमीटर लंबी तिरंगे को अपनी मुहिम दिल्ली तक पहुंचाने की रघुवंश और उनके साथियों की योजना है। इसके लिए आरती और रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। दो चरण पूरे भी हो चुके हैं। 

पहले दो चरण में इस यात्रा ने पूर्वांचल में तिरंगा सम्मान की अलख जगाई। अगले चरण अगले चरण में उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में होते हुए दिल्ली तक पहुंचने का लक्ष्य है। रघुवंश ने इस अभियान में डॉक्टर रवि अतरौलिया, हरिनारायण, सुमन, विष्णु,  रामनारायण, हर्ष, गीता, आरती, देवेंद्र, डॉक्टर घनश्याम आदि सहयोगी शामिल है। 

विश्व के सबसे लंबे झंडे का दावा 
रघुवंश ने बताया है कि 11 किलोमीटर लंबी तिरंगे को तैयार करने में कुल 42 दिन लगे। इसके लिए सूरत से आए 2 टेलर मास्टरों ने लगातार काम किया। झंडे का माइक्रो कॉटन क्वालिटी कपडा भी सूरत से ही मंगाया गया। उनका दावा है कि यह तिरंगा विश्व का सबसे बड़ा झंडा है। सबसे लंबे झंडे का विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए मंच की ओर से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, लिम्का बुक, इंडिया बुक, और गोल्डन रिकॉर्ड में पंजीकरण कराया गया है। 

शहीदों की याद में 
हर शहादत पर एक मीटर बढ़ा दी जाती है लम्बाई 
सबसे लंबे झंडे का विश्व कीर्तिमान बनाने की तैयारी 

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